शनिवार 6 सितंबर 2025 - 13:52
इमाम खुमैनी (र) ने 12 से 17 रबीअ उल अव्वल को हफ्ता-ए-वहदत व उख़ुव्वत घोषित करके आलम ए इस्लाम को एक नया पैगाम दिया

हौज़ा / आलामा शेख़ हसन सरवरी ने ज़ुमा के खुत्बे मे कहा कि इस्लामी क्रांति के संस्थापक हज़रत इमाम खुमैनी (र) ने उम्मत ए मुसलमा को ऐसी हिकमत और दूरदर्शिता दी जिसकी महानता आज पूरी दुनिया मान रही है उन्होंने 12 से 17 रबीअ उल अव्वल को हफ्ता-ए-वहदत व उख़ुव्वत घोषित करके आलम-ए-इस्लाम को एक नया पैगाम दिया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , अल्लामा शेख़ हसन सरवरी ने हज़रत इमाम खुमैनी (र) ने उम्मत-ए-मुसलमा को ऐसी दूरदर्शिता दी, जिसकी आज पूरी दुनिया कदर कर रही है उन्होंने 12 से 17 रबीअ उल अव्वल को हफ्ता ए वहदत व उख़ुव्वत घोषित किया यह इमाम खुमैनी (र) की बसीरत का नतीजा था जिसे आज मुसलमान अच्छी तरह समझ रहे हैं।उस्मानिया की साज़िशें, जो उम्मत को बांटना चाहती थीं, इमाम खुमैनी की हिकमत के आगे नाकाम हो गईं।

उन्होंने आगे कहा कि हफ्ते-ए-वहदत वास्तव में इमाम खुमैनी का आलम-ए-इस्लाम के लिए बहुमूल्य तोहफा है। आज जब दुनिया के मासूम, खासकर ग़ाज़ा के निहत मुसलमान अत्याचार और बर्बरता का शिकार हैं, तो उनकी एकलौती और वास्तविक मदद ईरान की इस्लामी क्रांति और इमाम खुमैनी रिज़़वान अल्लाह अलैह के बनाए हुए नज़ाम के रूप में मौजूद है।

शेख़ हसन सरवरी ने कहा कि इमाम खुमैनी ने उम्मत को जगाने के लिए बड़े ऐतिहासिक फ़ैसले किए,इमाम खुमैनी ने महीने-ए-रमज़ान के आख़िरी शुक्रवार को यौम-ए-क़ुद्स घोषित किया, ताकि फ़िलस्तीन का मसला हमेशा जिंदा रहे।

नामूस ए रसूल की रक्षा के लिए, शातिम-ए-रसूल मलून सुलैमान रशीदी के खिलाफ फतवा जारी कर पूरी दुनिया को पैगाम दिया कि पैगंबर-ए-आज़म (स) की हुरमत पर कोई समझौता नहीं होगा; इस फ़तवे के बाद से वह मलून दुनिया में कहीं भी चैन से नहीं रह पाया और इसके उलट, रसूल-ए-अकरम की महत्ता और शान और बढ़ गई।

अल्लामा हसन सरवरी ने कहा कि बाल्तिस्तान में भी धार्मिक, सामाजिक और फ़लाही गतिविधियों में खासा विकास हो रहा है। आलामा शेख हसन जाफ़री की समझदारी भरी नेतृत्व और अंजुमन-ए-इमामिया के सद्दर आगा सैयद बाकर हुसैनी और उनकी टीम की दिन-रात मेहनत काबिल-ए-तारीफ है।

इस नेक काम में अंजुमन-ए-ताजिरान ने भी अहम भूमिका निभाई है। नेक कामों की कदर करनी चाहिए, क्योंकि यही ख़ालिस कोशिशें समाज को आगे बढ़ाती हैं।

शेख़ हसन सरवरी ने अंत में बाढ़ प्रभावितों के लिए अंजुमन-ए-इमामिया की मुहिम का ज़िक्र करते हुए कहा कि हमारा बजट सीमित है। हम पूरे पाकिस्तान के प्रभावितों की मदद नहीं कर सकते, लेकिन अगर हम बाल्तिस्तान तक ही सहायता करें तो यह बहुत बड़ी सेवा होगी।

अंजुमन-ए-इमामिया ने अपील की है कि हर घर का हर शख़्स केवल पचास रुपए प्रति व्यक्ति दान करे, ताकि एक संगठित राहत कोष बनाया जा सके। हमारे इलाके के कई भाई छत, मकान, खेत और मवेशी खो चुके हैं; उनकी मदद के लिए सबको आगे आना होगा।

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